हम बेवफा हरगिज़ ना थे
पर हम वफ़ा कर ना सके
हमको मिली उसकी सजा
हम जो खता कर ना सके
कितनी अकेली थी वो राहें हम जिनपे
अब तक अकेले चलते रहे
तुझसे बिछड़कर भी ओ बेखबर
तेरे ही गम में जलते रहें
तुने किया जो शिकवा
हम वो गिला कर ना सके
हम बेवफा हरगिज़ ना थे
पर हम वफ़ा कर ना सके
तुमने जो देखा सुना सच था मगर
कितना था सच ये किसको पता
जाने तुम्हे मैंने कोई धोका दिया
जाने तुम्हे कोई धोका हुआ
इस प्यार मीम सच झूठ का
तुम फैसला कर ना सके
हम बेवफा हरगिज ना थे
पर हम वफ़ा कर ना सके
हमको मिली उसकी सज़ा
हम जो खता कर ना सके
0 comments:
Post a Comment