एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात हो गयी
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात हो गयी
फिर क्या हुआ ये ना पूछो
कुछ ऐसी बात हो गयी
एक अजनबी हसीना से
यु मुलाकात हो गयी
वो अचानक आ गयी
यूँ नज़र के सामने
जैसे निकल आया
घटा से चाँद
चेहरे पे जुल्फें
बिखरी हुई थी
दिन में रात
हो गयी
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात हो गयी
जाने मन जाने जिगर
होता मै शायर अगर
कहता ग़ज़ल तेरे हे अदाओं पर
मैंने ये कहा तो
मुझसे खफा वो
जाने हयात हो गयी
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात हो गयी
खूबसूरत बात ये
चार पल का साथ ये
सारी उमर मुझको रहेगा याद
मै अकेला था मगर
बन गयी वो हमसफ़र
वो मेरे साथ हो गयी
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात हो गयी
फिर क्या हुआ ये ना पूछो
कुछ ऐसी बात हो गयी
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